कठोपनिषद—ओशो
आज हम एक ऐसी यात्रा पर चले है। जो पथ हजारों साल बाद भी उतना ही….साफ सुथरा और रमणीक है। वैसे तो भारत के अध्यात्म जगत में न जाने कितने हीर-मोती-पन्ने…भरे पड़े है। न जाने कितने चाँद सितारे जो संत बन कर चमक रहे है। जिनका प्रकाश सदियों से मनुष्य को पथ दिखाता रहा है….ओर करोड़ो सालों तक दिखाता रहेगा।
लेकिन उन सब में उपनिषद अदुत्य है। बेजोड़ है….जिनका कोई सानी नहीं है। आज से आप जगमगाते उन उपनिषदों को ओशो के वचनों से जीवित होता हुआ पाओगे। जो सालों से उन पर पड़ धूल-धमास। हटा को उनका अर्थ हमारे सामने लाये है मानों वो दोबारा जीवित हो गये है। आज कि यात्रा सुखद तो होगी ही इसके साथ हम आध्यात्मिक के उन गहरे रहस्यों को भी बार-बार छूते चले जायेंगे।
नचिकेता और यम का संवाद। Continue reading “(एक अभुतपूर्व यात्रा)”