दसवां प्रवचन-(नीति: कागज का फूल)
दिनांक 20 सितम्बर सन् 1975,
श्री ओशो आश्रम पूना।
प्रश्न-सार:
1—आचरणवादी (बिहेवियरिस्ट) मनस्विदों का यह खयाल कि आचरण के प्रशिक्षण से आदमी को बेहतर बनाया जा सकता है, कहां तक सही है?
2—आरोपित दिखाऊ नीति से क्या समाज का काम चल जाता है?
क्या उसे धर्म से उदभूत नीति की और संतों की आवश्यकता नहीं रहती है? Continue reading “सबै सयाने एक मत-(प्रवचन-10)”