प्रवचन-दसवां-(अपने ही प्राणों को पढ़ो)
आपुई गई हिराय-(प्रश्नत्तोर)-ओशो
दिनांक 10-फरवरी, सन् 1981, ओशो आश्रम, पूना।
प्रश्न-सार
01-* जब-जब आया द्वार तिहारे, बस खाली हाथ चला।
फूल न लगा एक हाथ भी, मन का माली साथ चला।
तेरे दया भंडार में मेरे लिए ही कुछ कम है।
हाथ पसारे दुआ मांगते अब मेरी आंखें नम हैं।
अब तक न की दया मुझ पे, बस इतना सा गम है।
दया के सागर से अपनी ले, खाली प्याली साथ चला।
जब-जब आया द्वार तिहारे, बस खाली हाथ चला। Continue reading “आपुई गई हिराय-(प्रवचन-10)”