नहीं राम बिन ठांव-(प्रश्नोंत्तर)-प्रवचन-सौहलवां
दिनांक 09 जून सन् 1974, ओशो आश्रम, पूना।
नहिं राम बिन ठांव
राम की शरण जाने का अर्थ है एक मालिक। इसलिए राम से तुम यह मत समझना कि दशरथ के बेटे राम का कोई संबंध है। राम से तुम्हारे भीतर छिपे हुए ब्रह्म का संबंध है। तुम राम हो। तुम शरीर नहीं हो, तुम आत्मा हो।
प्रश्न:
भगवान श्री, आपके वचनों से संकेत मिलता है कि
आने वाले दस वर्ष मनुष्य-जाति के लिए बहुत संकटपूर्ण, सांघातिक और निर्णायक होने वाले हैं।
और आपका आगमन भी शायद इस बात से संबंधित है कि इस आसन्न विपदा से मनुष्य को
कम से कम क्षति हो तथा संस्कृति और धर्म के मूल्यों को अधिक से अधिक बचाया जाए। Continue reading “नहीं राम बिन ठांव-(प्रवचन-16)”