कौशल नरेश प्रसेनजित की हार और बुद्ध का उपदेश-(एस धम्मो सनंतनो)
कौशलनरेश प्रसेनजित काशी के लिए अजातशत्रु से युद्ध करने में तीन बार हार गया। वह बहुत चिंतित रहने लगा। उसके पास कुछ कमी न थी बड़ा राज्य था उसके पास कौशल का पूरा राज्य उसके पास था लेकिन काशी खटकती थी। काशी पर किसी और का कब्जा यह खटकता था। उसके अपने कब्जे में बहुत था लेकिन जो दूसरे के कब्जे में था वह खटकता था। तीन बार उसने हमला किया काशी पर और तीनों बार हार गया। बहुत चिंतित रहने लगा। जब तीसरी बार भी हार हुई तो बात जरा सीमा के बाहर हो गयी उसके दर्प को बड़ा आघात पहुंचा। वह सोचने लगा मैं दुग्धमुख लड़के को भी न हरा सका ऐसे मेरे जीने से क्या! और अजातशत्रु अभी लड़का ही था अभी उसकी कोई खास उम्र भी न थी। और उस लड़के से बार— बार हार जाना पीड़ादायी हो गया Continue reading “कौशल नरेश और बुद्ध का उपदेश-(कथा यात्रा-077)”