सहज मिले अविनाशी-ओशो
सातवां प्रवचन
विधायक खोज
एक तो यहां एक स्टडी सर्किल निर्मित किया है, तो महीने में सात दिन उस पर बोलता रहता हूं। वह थोड़े से चुने हुए लोगों का ग्रुप है ताकि बहुत गहराई में कुछ बात हो सके। तो उसमें कुछ विशेष किताबों पर बोल रहा हूं। जैसे विज्ञान भैरव पर शुरू करूंगा अगले महीने। विज्ञान भैरव तंत्र का एक ग्रुप है। और मैं मानता हूं कि दुनिया में उससे श्रेष्ठ कोई किताब न कभी लिखी गई और न लिखनी संभव है। तंत्र पर, तंत्र पर, बहुत अदभुत है। बहुत ही अदभुत है, गीता-वीता सब बचकानी हैं। तंत्र में तो बहुत किताबें हैं, जिनके मुकाबले सारी चीजें बचकानी हैं। तो विज्ञान भैरव में कुल एक सौ बारह सूत्र हैं, तो उसमें कोई लगेंगे छह महीने। अगले महीने से शुरू करूंगा, सात दिन, फिर छह महीने उस पर लगूंगा।
प्रश्नः टैक्स्ट उसका संस्कृत में है? Continue reading “सहज मिले अविनाशी-(प्रवचन-07)”