कार्यकर्ताओं से चर्चा-3
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वर्कर्स कैंप, लोनावला
मेरी आवाज़ अकेली नहीं है
देश को, समाज को, मनुष्य को- जैसा वह आज है- उसे देखकर जिस आदमी के हृदय में आंसू न भर जाते हों, वह आदमी या तो मर चुका है या मरने के करीब है। जो आदमी अभी जीवित है वह आज के देश की, आज के समाज की, आज के मनुष्य की दशा को देखकर रोता होगा; उसकी हंसी झूठी होगी; उसकी रातें उसके तकियों को उसकी आंखों के आंसुओं से गीला कर देती होंगी। Continue reading “कार्यकर्ताओं से चर्चा-ओशो”