अवल गरीबी अंग बसै—दसवां प्रवचन
दिनाक 20 मई, 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना
सूत्र :
अवल गरीबी अंग बसै, सीतल सदा सुभाव।
पावस बुढ़ा परेम रा, जल सूं सींचो जाव।।
लागू है बोला गा।, घर घर माहीं दोखी।
गुंज कुण। सो किजिए, कुण है थासे सोखी।।
जोबन हा जब जतन हा, काया बड़ी बुढ़ाण।
सुकी लकड़ी न लुलै, किस बिध निकसे काण।।
लाय लगी घर आपणे, घट भीतर होली। Continue reading “हंसा तो मोती चुगैं-(प्रवचन-10)”