बुद्धत्व का मनोविज्ञान-ओशो
प्रवचन-बारहवां-( तर्क और तर्कातीत का संतुलन)
(The Psychologe Of The Esoteric)-का हिन्दी रूपांतरण है)
ओशो पश्चिम की युवा पीढ़ी विद्रोह क्यों कर रही है और
पश्चिम से इतने अधिक युवा लोग क्यों पूरब के धर्म और
दर्शन में उत्सुक होते जा रहे हैं क्या इस पर आप कुछ
कहेंगे? क्या आपके पास पश्चिम के लिए कोई विशेष संदेश है?
मन एक बहुत विरोधाभासी व्यवस्था है। मन ध्रुवीय विपरीतताओं में कार्य करता है। लेकिन हमारी सोच हमारी सोचने की तर्कयुक्त विधि सदा एक भाग को चुन लेती है और दूसरे को इनकार कर देती है। तो तर्क एक अ-विरोधाभासी तरीके से आगे बढ़ता है और मन विरोधाभासी तरीके से कार्य करता है। जीवन विपरीतताओं में कार्य करता है, और तर्क एक दिशा में कार्य करता है–विपरीतताओं में नहीं। Continue reading “बुद्धत्व का मनोविज्ञान-(प्रवचन-12)”