उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-10)

सावन आया अब के सजन-(प्रवचन-दसवां)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 10 जनवरी सन् 1979 , ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-     भगवान,

            पल भर में यह क्या हो गया,

            वह मैं गई, वह मन गया!

            चुनरी कहे, सुन री पवन

            सावन आया अब के सजन।

      फिर-फिर धन्यवाद प्रभु!

02-     भगवान, जीवन के हर आयाम में सत्य के सामने झुकना मुश्किल है

      और झूठ के सामने झुकना सरल! ऐसी उलटबांसी क्यों है? Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-10)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-09)

वेणु लो, गूंजे धरा-(प्रवचन-नौवां)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 09 जनवरी सन् 1979,  ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-     भगवान, आपका मूल संदेश क्या है?

02-     भगवान,

            जाने क्या ढूंढती रहती हैं निगाहें मेरी

            राख के ढेर में न शोला है न चिनगारी।

      जिंदगी में है तो बहुत कुछ, लेकिन जीत कर कुछ भी न मिला, कुछ न रहा।

      जिसकी आस किए बैठी हूं, वह बार-बार क्यों फिसल जाता है? Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-09)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-08)

मेरी आंखों में झांको-(प्रवचन-आठवां)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 08 जनवरी सन् 1979,  ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-     भगवान, क्या भारतीय संस्कृति विश्व की श्रेष्ठतम संस्कृति नहीं है?

02-     भगवान, मनुष्य इतना दुखी और इतना उदास क्यों हो गया है?

03-     भगवान, जनता जिस ईश्वर को पूजती है वह ईश्वर और आपका ईश्वर क्या एक ही है? Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-08)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-07)

संन्यास : परमात्मा का संदेश-(प्रवचन-सातवां)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 07 जनवरी सन् 1979 , ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-     भगवान, उन्नीस सौ चौंसठ के माथेरान शिविर में आपसे प्रथम मिलन हुआ था।

      माथेरान स्टेशन पर जिस प्रेम से आपने मुझे बुलाया था, वे शब्द आज भी कान में गूंजते हैं।

      उन दिन जो आंसू झर-झर बह रहे थे, वे आंसू अब तक आते ही रहते हैं।

      आपको सुनते समय, आपके दर्शन के समय यही स्थिति रहती है।

      आपके साथ रहने का, उठने-बैठने का सौभाग्य काफी सालों तक मिलता रहा है।

      आपसे प्राप्त प्रेम की जो परिपूर्ण अवस्था उस दिन थी वही परिपूर्ण अवस्था आज भी है।

      यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी और आश्चर्यजनक घटना मानती हूं।

      यह प्रेम की अवस्था मेरे जीवन के अंत समय तक रहे, ऐसा आशीर्वाद आपसे चाहती हूं! Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-07)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-06)

आनंद स्वभाव है-(प्रवचन-छटवां)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 06 जनवरी सन् 1979,   ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-     भगवान, कभी सोचा भी नहीं था कि जीवन इतना स्वाभाविकता से, आनंदपूर्ण जीया जा

      सकता है! शाम को गायन-समूह में इतनी नृत्यपूर्ण हो जाती हूं! जिस जीवन की खोज थी मुझे,

      वह मिलता जा रहा है। कहां थी–और कहां ले जा रहे हैं आप!

      जितना अनुग्रह मानूं उतना कम है। ऐसा प्यार बहा रहे हो भगवान, चरणों में झुकी जाती हूं मैं!

02-     भगवान, आप अमृत दे रहे हैं और अंधे लोग आपको जहर पिलाने पर आमादा हैं।

      यह कैसा अन्याय है? Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-06)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-05)

मैं सिर्फ एक अवसर हूं-(प्रवचन-पांचवां)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 05 जनवरी सन् 1979 ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-भगवान, अनेक संतों और सिद्धों के संबंध में कथाएं प्रचलित हैं कि वे जिन पर प्रसन्न होते थे उन पर गालियों की वर्षा करते थे। परमहंस रामकृष्ण के मुंह से ऐसे ही बहुत गालियां निकलती थीं, बात-बात में गालियां। यही बात प्रख्यात संगीत गुरु अलाउद्दीन खां  के जीवन में भी उल्लेखनीय है। क्या इस पर कुछ प्रकाश डालने की अनुकंपा करेंगे?

02-भगवान, आप कल की भांति हमेशा ही मेरी झोली खुशियों से भर देते हैं। Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-05)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-04)

सरस राग रस गंध भरो-(प्रवचन-चौथा)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 04 जनवरी सन् 1979 ,   ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-    भगवान, आनंद क्या है? उत्सव क्या है?

02-     भगवान, क्या जीवन मात्र संघर्ष ही है–संघर्ष और संघर्ष? या कुछ और भी?

03-     भगवान, इस जीवन में मैंने दुख ही दुख क्यों पाया है?

04-      भगवान, आपका संदेश घर-घर पहुंचाने का संकल्प अपने आप ही सघन होता जा रहा है।

 05-    समाज हजार बाधाएं खड़ी करेगा, कर रहा है। जीवन भी संकट में पड़ सकता है।

  06-   मैं क्या करूं? Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-04)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-03)

प्राण के ओ दीप मेरे-(प्रवचन-दूसरा)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 03 जनवरी सन् 1979 ,ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-     भगवान, परमात्मा जिनका अनुभव नहीं बना है, उनकी प्रार्थना क्या हो? उनका भजन क्या हो?

02-     भगवान, चार्वाक-दर्शन की ग्रंथ-संपदा को क्यों नष्ट किया गया?

      चार्वाक के बारे में आपके क्या विचार हैं?

03-    भगवान, आप ऐसी भाषा में क्यों नहीं बोलते जो मेरी समझ में आ सके?

      आपको सुनता हूं, रोता हूं, लेकिन कुछ समझ में नहीं आता है। Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-03)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-02)

डूबो-(प्रवचन-दूसरा)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 2 जनवरी सन् 1979 ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

01-    भगवान, स्त्री तो बिना प्रेम के नहीं पहुंच सकती। स्त्री तो सिर्फ डूबना जानती है।

      और आप में डूब कर ही जाना हो सकता है। मुझे डुबा लें और उबार लें।

02-     भगवान, सुना है श्री मोरारजी भाई को गीता पूरी कंठस्थ याद है।

      फिर भी वे राजनीति में इतने उत्सुक क्यों हैं?

03-    भगवान, मेरी होने वाली पत्नी मुझे छोड़ना चाहती है, यह बात ही मुझे कटार की भांति चुभती है।

      मैं उसे प्रेम करता हूं और जीते जी कभी छोड़ नहीं सकता हूं। वह किसी और के प्रेम में है।

      कृपया, आप ऐसा कुछ करें कि वह मुझे छोड़े नहीं।

      मैं उसके डर के कारण अपना नाम भी नहीं लिख रहा हूं।

04-     मैं कौन हूं? भगवान, क्या आप बता सकते हैं? Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-02)”

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-01)

जग-जग कहते जुग भये-(प्रवचन-पहला)

उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 1 जनवरी सन् 1979 ओशो आश्रम पूना।

प्रश्नसार:

प्रश्न-01     भगवान, नव-आश्रम के निर्माण में इतनी देर क्यों हो रही है?

      हम आस लगाए बैठे हैं कि कब हम भी बुद्ध-ऊर्जा के अलौकिक क्षेत्र में प्रवेश करें।

      और हम ही नहीं, हजारों आस लगाए बैठे हैं। अंधेरा बहुत है, प्रकाश चाहिए।

      और प्रकाश के दुश्मन भी बहुत हैं। इससे भय भी लगता है कि कहीं

      यह जीवन भी और जीवनों की भांति खाली का खाली न बीत जाए!

प्रश्न-02     भगवान, संग का रंग लगता ही है या कि यह केवल संयोग मात्र है? कृपा कर समझावें! Continue reading “उत्सव आमार जाति आनंद आमार गोत्र-(प्रवचन-01)”

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