आंखों देखी सांच-(भूमिका)
‘कानों सुनी सो झूठ सब, आंखों देखी सांच।
दरिया देखे जानिये, यह कंचन यह कांच।’
ओशो ने अपने आध्यात्मिक अभियान के शुरुआती दौर में घूम-घूम कर अपने क्रांतिकारी वचनों से, अपनी आंतरिकता में अपने-आप को पाने की प्यास लिए, लोगों को खोज-खोज कर पुकार। वास्तविक जीवन की खोज को सही दिशा में ले जाने के लिए उस दौर में (10, 11) अप्रैल, (10, 11, 12) जून और (19) सितम्बर माह, सन् 1966 में ओशो द्वारा दिये गये सात अमृत प्रवचनों को आंखों देखी सांच नामक शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक में संकलित किया गया था। Continue reading “आंखों देखी सांच-(भुमिका)”