मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-11

सजग,शांत और संतुलित बने रहोप्रवचन-ग्याहरवां

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा: –

भिक्षु जुईगन अपना प्रत्येक दिन स्वयं अपने आप मैं जोर-जोर से-

यह कहते हुए ही शुरू करता था- ”मास्टर! क्या तुम हो वहां?’’

और वह स्वयं ही उसका उत्तर भी देता था- ” जी हां श्रीमान? मैं हूं। ”

तब वाह कहता- ” अच्छा यही है- सजग, शांत और संतुलित बने रहो।”

और वह लौट कर जवाब देता—‘’जी श्रीमान? मैं यही करूंगा ”

तब वह कहता- ”और अब देखो वे कहीं तुझे बेवकूक न बना दें।‘’

और वह ही उसका उत्तर देता- ”अरे नहीं श्रीमान? मैं नहीं बगूंगा

मैं हरगिज नहीं बनूंगा?

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-10

मौन का सदगुरुप्रवचन-दसवां

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा: –

बुद्ध को एक दिन अपने प्रवचन के द्वारा एक विशिष्ट सन्देश देना

था और चारों ओर मीलों दूर से हजारों अनुयायी आए हुए थे) जब

बुद्ध पधारे तो वे अपने हाथ में एक फूल लिए हुए थे। कुछ समय बीत

गया लेकिन बुद्ध ने कुछ कहा नहीं वह बस फूल की ही ओर देखते

रहे। पूरा समूह बेचैन होने लगा, लेकिन महाकाश्यप बहुत देर तक

अपने को रोक न सका, हंस पड़ा। बुद्ध ने हाथ से इशारा कर उसे

अपने पास बुलाया। उसे वह फूल सौंपा और सभी भिक्षुओं के समूह

से कहा- ” मैंने जो कुछ अनुभव किया, उस सत्य और सिखावन

को जितना शब्द के द्वारा दिया जाना सम्भव था, वह सब कुछ तुम्हें दे

दिया लेकिन इस फूल के साथ, इस सिखावन की कुंजी मैंने आज

महाकाश्यप करे सौंप दी।

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-09

बिल्ली को बचाओ-प्रवचन-नौवां

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा: –

नानसेन ने भिक्षओं के दो समूह, को, एक बिल्ली के स्वामित्व के

लिए आपस में शोर करते और झगड्‌ते हुए पाया नानसेन उस घर में

गया और एक तेज धार की छुरी लेकर लौटा उसने बिल्ली को हाथ

में उठाकर भिक्षओं से कहा– ”तुममें से कोई भी यदि कोई अच्छा

और भला शब्द कहे तो तुम इस बिल्ली को बचा सकते हो

कोई भी ऐसे शब्द को न कह सका इसलिए नानसेन ने बिल्ली के

दो टुकड़े कर दिए और आधा-आधा भाग प्रत्येक समूह को दे दिया

शाम को जब जोशू मठ में लौटा तब जो कुछ भी हुआ कु नानसेन

ने उसे उसकी बाबत बताया

जोशू ने कुछ भी नहीं कहा:

उसने बस अपनी चप्पलें अपने सिर पर रखीं और चला गया

नानसेन से कहा– ” यदि तुम वहां रहे होते तो तुमने बिल्ली को बचा लिया होता ”

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-08

झेन का शास्त्र है कोरी किताब-प्रवचन-आठवां

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा: –

झेन सदगुरू मूनान का एक ही उत्तराधिकारी था, उसका नाम था-शोजू

जब शोजू झेन का प्रशिक्षण और अध्ययन पूरा कर चुका, मू-नान ने

उसे अपने कक्ष में बुलाकर कहा- ” मैं अब बूढ़ा हुआ और जहां तक

मैं जानता हूं, तुम्हीं अकेले ऐसे हो जो इस प्रशिक्षण को विकसित कर

आगे ले जाओगे। यहां मेरे पास एक पवित्र ग्रंथ है- जो सात पीढ़ियों

से एक सद्‌गुरु से दूसरे सदगुरु को सौपा गया है, मैंने भी अपनी समझ

के अनुसार-उसमें कुछ जोड़ा है यह ग्रंथ बहुत कीमती है और मैं इसे

तुम्हें सौंप रहा जिससे मेरा उत्तराधिकारी बन कर तुम मेरा प्रतिनिधित्व

शोजू? ने उत्तर- ” कृपया अपनी यह किताब अपने पास रखिए मैंने

तो आपसे अनलिखा झेन पाया है और मैं उसे ही पाकर आंनदिन हूं,

आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-07

हैं साधारण होने का चमत्कार-प्रवचन-सातवां

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:

जापानी सदगुरु इकीदो एक कठोर शिक्षक थे और उनके शिष्य
उससे डरते थे एक दिन उनका एक शिष्य दिन का समय बताने के
लिए मठ का घंटा बजा रहा था। समय के अनुसार वह घंटे पर एक
चोट करना भूल गया क्या? क्योंकि वह द्वार से गुजरती हुई एक सुंदर लड़की
को देख हाथ’ उस शिष्य की जानकारी में आए बिना इकीदो उसके
पीछे ही खड़ा था। इकीदो ने अपने डंडे से उस शिष्य पर प्रहार किया
इस आघात से उस शिष्य की हृदयगति रुक गई और वह मर गया
पुरानी परंपरा के अनुसार शिष्य अपना जीवन सदगुरू के नाम लिखकर
अपने हस्ताक्षर करके दे देने के लेकिन अब यह परंपरा समाप्त होते
हुए औपचारिकता रह गई है, सामान्य लोगों के द्वारा इकीदो की निंदा
की गई लेकिन इस घटना के बाद इकीदो के दस निकट शिष्य बुद्धत्व
को उपलब्ध हुए जो इकीदो के उत्तराधिकारी बने एक सदगुरू के
निकट बोध को प्राप्त होने वालों की यह संख्या असाधारण रूप से
काफी अधिक थी।

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-06

हैं साधारण होने का चमत्कार-प्रवचन-छठवां

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:

एक दिन झेन सदगुरू बांके अपने शिष्यों के साथ शांति से बैठा

कुछ चर्चा- परिचर्चा कर रहा था, तभी एक दूसरे पंथ के धर्माचार्य ने

उसकी बात चीत में विध्न डाल दिया, यह पंथ चमत्कारों की शक्ति में

विश्वास रखता था और उसका मानना था कि मुक्ति पवित्र मंत्री के

निरंतर उच्चारण से मिलती है बांके ने चचा-परिचर्चा रोककर उस

धर्माचार्य से पूछा- ” आप क्या कहना चाहते है?”

उस धर्माचार्य ने शेखी बधारते हुए कहा- ” उसके धर्म के संस्थापक

नदी के एक किनारे पर खड़े होकर अपने हाथ में लिए हुए बुश से?

नदी के दूसरे किनारे पर खड़े अपने शिष्य के हाथ में थमे कोरे कागज

पर पवित्र नाम लिख सकते हैं।

फिर उस धर्माचार्य ने बांके से पूछा– ” आप क्या चमत्कार कर सकते हें?”

बांके ने उत्तर दिया- ” केवल एक हुई चमत्कार में जानता हूं, जब

मुझे भूख लगती है? मैं भोजन करता हूं और जब मुझे कम लगती है? मैं पानी पीता है।”

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-05

नए मठ के लिए सदगुरु कौन?-(प्रवचन-पांचवां) 

मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:

ह्याकूजो ने अपने सभी भिक्षुओं, को एक साध बुलाया वह उनमें

से एक को नए मठ के संचालन के लिए भेजना चाहता था जमीन पर

पानी से भरा एक जग रखते हुए उसने कहा- ” बिना इसका नाम

प्रयोग किए हुए कौन बता सकता है कि यह क्या है?”

प्रधान भिक्षु ने कहा- जिसे उस पद करे प्राप्त करने की आशा थी।

उसने कहा- ” कोई भी इसे लकड़ी कर खड़ा के तो नहीं कह सकता।”

दूसरे भिक्षु ने कहा– ” यह कोई तालाब नहीं है? क्योंकि इसे कहीं

भी ले जाया सकता है।

भोजन बनाने वाला भिक्षु जो पास ही खड़ा था, आगे बड़ा, उसने

जग को एक ठोकर मारी और चला गया।

ह्याकूजो मुस्कुराया और उसने कहा, ” भोजन बनाने वाला भिक्षु

ही नए मत का सदगुरु होगा

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-04

एक प्याला चाय पीजिए-(प्रवचन-चौथा) 

झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing) 

मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing) “Roots and Wings” –0-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे।  उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:

झेन सदगुरू जोशू मठ में आए।

एक नए भिक्षु से पूछा- क्या मैंने तुमको पहले कभी देखा है?”

उस नए भिक्षु ने उत्तरदिया- जी नहीं श्रीमान? ”

जोशू ने कहा- तब आप एक कला चाय पीजिए।

जोशू ने फिर दूसरे भिक्षु की ओर मुड़कर पूछा- क्या मैंने तुमको

पहले कभी देखा है?”

उस दूसरे भिक्षु ने उत्तर दिया जी क्या श्रीमान? आपने वास्तव में

मुझे देखा है

जोशू ने कह?- ” तब आप एक प्याला चाय पिजिए

कुछ देर बाद मठ में भिक्षुओ  के प्रबंधक ने जोशू से पूछा- आपने

कोई भी उत्तर मिलने पर दोनों को ही चाय पीने का समान आमंत्रण

क्यों दिया?”

यह सुनकर जाशू चीखते हुए बोला- मैनेजर? तुम अभी भी यही

हरे?”

मैनेजर ने उत्तरदिया जी श्रीमान? ”

जोश ने कह?- ” तब आप भी एक प्याला चाय पीजिए।

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-02

न मन न सत्य-(प्रवचन-दूसरा) 

झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing) 

मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing) “Roots and Wings” – 10-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे।  उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

कथा:

डोको नाम के नए साधक ने सदगुरु के निकट आकर पूछा-

किस चित्त-दशा में मुझे सत्य की खोज करनी चाहिए?”

सदगुरू ने उत्तर दिया- वहां मन है ही नहीं, इसलिए तुम उसे

किसी भी दशा में नहीं रख सकते और न वहां कोई सत्य है? इसलिए

तुम उसे खोज नहीं सकते

डोको ने कहा- यदि वहां न कोई मन है और न कोई सत्य फिर

यह सभी शिक्षार्थी रोज आपके सामने क्यों सीखने के लिए आते हैं

सदगुरू ने चारों ओर देखा ओर कहा- में तो यहां किसी को भी

नहीं देख रहा। 

पूछने वाले ने अगला प्रश्न क्रिया- तब आप कौन है? जो शिक्षा

दे रहे है?”

सदगुरू ने उत्तर दिया- मेरे पास कोई जिह्वा ही नहीं फिर मैं

कैसे शिक्षा दे सकता हूं?”

तब डोको ने उदास होकर कहा- मैं आपका न तो अनुसरण

कर सकता हूं और न आप करे समझ सकता हूं

झेन सदगुरु ने कहा- मैं स्वयं अपने आपको नहीं समझ पाता।  

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-प्रवचन-01

पहले अपना प्याला खाली करो-(प्रवचन-पहला)

झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing)  

मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing) “Roots and Wings” –0-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे। उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

 कथा:

 जपानी सदगुरु ‘नानहन ने श्रौताओ से दर्शन शस्त्र के एक प्रोफेसर का परिचय कराया और तब अतिथि गृह के प्याले में वह उनके लिए चाय उड़ेलते ही गए।

भरे प्याले में छलकती चाय को देख कर प्रोफेसर अधिक देर अपने करे रोक न सके। उन्होंने कहा- ” कृपया रुकिए प्याला पूरा भर चुका है। उसमें अब और चाय नहीं आ सकती।”

नानइन ने कहा- ”इस प्याले की तरह आप भी अपने अनुमानों और निर्णयों से भरे हुए हैं जब तक पहले आप अपने प्याले को खाली न कर लें, मैं झेन की ओर संकेत कैसे कर सकता हूं?”

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मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-ओशो

झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing)-ओशो   

मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing) “Roots and Wings” – 10-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे। उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)

इस पुस्तक से:

ज़ेन सदगुरू हाकुई के निकट आगर एक समुराई योद्धा ने पूछा—‘क्या यहां स्वर्ग और नर्क जैसी कुछ चीज है?’

हाकुई ने पूछा: ‘तुम कौन हो?’

उस योद्धा न उत्तर दिया-‘मैं सम्राट की सुरक्षा में लगा समुराई योद्धाओं का प्रधान हूं।’

हाकुई ने कहा: ‘तुम और समुराई? अपने चेहरे से तो तुम एक भिखारी अधिक लगते हो।’ Continue reading “मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing)-ओशो”

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