सजग,शांत और संतुलित बने रहो—प्रवचन-ग्याहरवां
मनुष्य होने की कला–(The bird on the wing)-ओशो की बोली गई झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)
कथा: –
भिक्षु जुईगन अपना प्रत्येक दिन स्वयं अपने आप मैं जोर-जोर से-
यह कहते हुए ही शुरू करता था- ”मास्टर! क्या तुम हो वहां?’’
और वह स्वयं ही उसका उत्तर भी देता था- ” जी हां श्रीमान? मैं हूं। ”
तब वाह कहता- ” अच्छा यही है- सजग, शांत और संतुलित बने रहो।”
और वह लौट कर जवाब देता—‘’जी श्रीमान? मैं यही करूंगा ”
तब वह कहता- ”और अब देखो वे कहीं तुझे बेवकूक न बना दें।‘’
और वह ही उसका उत्तर देता- ”अरे नहीं श्रीमान? मैं नहीं बगूंगा
मैं हरगिज नहीं बनूंगा?
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