भूत, भविष्य और वर्तमान के पार-(प्रवचन-दसवां) ओशो
Hsin Hsin Ming (शुन्य की किताब)–ओशो
(ओशो की अंग्रेजी पुस्तक का हिंदी अनुवाद)
सूत्र:
यहां शून्यता? कहा शून्यता
लेकिन असीम ब्रह्मांड सदा तुम्हारी आंखों के सामने रहता है
असीम रूप से बड़ा, असीम रूप से छोटा;
कोई भेद नहीं है
क्योंकि सभी परिभाषाएं तिरोहित हो गई हैं
और कोई सीमाएं दिखाई नहीं देतीं।
होने और न होने के साथ भी ऐसा है।
उन संदेहों और तर्कों में समय को मत गंवाओ
जिनका इसके साथ कोई संबंध नहीं है।
एक वस्तु, सारी वस्तुएं
बिना किसी भेदभाव के एक- दूसरे में गति करती हैं और
घुल- मिल जाती हैं।
इस बोध में जीना अपूर्णता के विषय में चिंतारहित होना है।
इस आस्था में जीना अद्वैत का मार्ग है
क्योंकि अद्वैत व्यक्ति वह है जिसके पास श्रद्धावान मन है।
अनेक शब्द।
मार्ग भाषा के पार है
क्योंकि उसमें न बीता हुआ कल है
न आने वाला कल है न आज है। Continue reading “शूून्य की किताब–(Hsin Hsin Ming)-प्रवचन-10”