अकस्मात विस्फोट की पूर्व—तैयारी—
(प्रवचन—बारहवां) अध्याय—13
सूत्र—
यथा प्रकाशयत्येक: कृत्स्नं लोकमिमं रवि:।
क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत।। 33।।
स्थ्यैज्ञयोरेवमन्तरं ज्ञानचमुवा।
क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरं च ये विदुर्यान्ति ते परम्।। 34।।
है अर्जुन, जिस प्रकार एक ही सूर्य इस संपूर्ण लोक को प्रकाशित करता है, उसी प्रकार एक ही आत्मा संपूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है। Continue reading “गीता दर्शन-(प्रवचन-162)”