मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-10)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 10 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-दसवां   

*01- सदगुरु की पुकार

*02- जागरण चाहिए–अभ्यास नहीं

*03- बांटो–लुटाओ Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-10)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-09)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 09 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-नौवां   

*01- नये मनुष्य का आगमन

*02- धर्म के व्यापारी

*03- समर्पण की मस्ती

*04- विवाह का फंदा

*05- सत्य और सूली Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-09)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-08)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 08 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-आठवां   

*01- बुद्धत्व की धन्यता

* 02-मनुष्य है: मृण्मय में चिन्मय

*03- संन्यास का फूल

*04- रूपांतरण की प्यास Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-08)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-07)

 मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 07 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-सातवां   

*01- अभीप्सा का जन्म

* 02-पात्रता

*03- प्रतिभा है–निर्विचार चैतन्य

*04- अंतिम चाह Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-07)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-06)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 06 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-छट्ठवां   

*01- अहोभाव, धन्यवाद–पश्चात्ताप नहीं

*02- निष्प्र्रश्न चेतना

*03- सदगुरु का जादू

प्रश्न-सार

*01-क्या प्रार्थना पश्चात्ताप ही नहीं है?

*02-जीवन के अर्थ को कहां खोजें? कैसे खोजें?

*03-आपने क्या कर दिया है? मैं ऐसा आनंदित तो कभी भी न था। शायद इसे ही लोग आपका सम्मोहन कहते हैं! Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-06)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-05)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 05 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-पांचवां  

*01- संन्यास का आमंत्रण

*02- सदगुरु की मधुशाला

*03- जागो

*04- मीठा दर्द Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-05)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-04)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 04 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-चौथा  

*01 धर्म है प्रेम की पराकाष्ठा

*02- अहंकार और समर्पण

प्रश्न-सार

*धर्म क्या है?

*शिष्यत्व और समर्पण में क्या दासता का कुछ अंश है? और आज के मनुष्य के लिए समर्पण कठिन क्यों हो गया है? Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-04)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-03)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 03 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-तीसरा

*01- प्रेम की आग

*02- शिष्य की परीक्षा

*03- संन्यास का उत्सव Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-03)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-02)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 02 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-दूसरा  

*01- ध्यान, प्रेम और संन्यास

*02- प्रेम का निखार

*03- दुख क्यों है Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-02)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-01)

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

दिनांक 01 अगस्त सन् 1979

प्रवचन-पहला

01-* धर्म की आड़ में अहंकार

02.* अहंकार अंधकार है

03-* अनुग्रह भाव Continue reading “मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रवचन-01)”

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

मृत्युार्मा अमृत गमय-(प्रश्नोंत्तर)-ओशो

(दिनांक 01 अगस्त से 19 अगस्त सन् 1979 तक ओशो आश्रम पूना में दिये गये अमृत प्रवचनों का संकलन)
भारत-भूमि शब्द का उपयोग करोगे तो करांची, ढाका, लाहौर उसमें आते हैं या नहीं? कल तक तो आते थे; उन्नीस सौ सैंतालीस के पहले तक तो आते थे; अब नहीं आते। कल देश और भी सिकुड़ सकता है। कल हो सकता है दक्षिण उत्तर से अलग हो जाए। तो फिर भारत देश उत्तर में ही समाहित हो जाएगा; फिर गंगा का कछार ही भारत रह जाएगा; फिर दक्षिण भारत नहीं रहेगा! अभी भी तुमने जिनके नाम गिनाए, वे सब उत्तर के हैं–कृष्ण, बुद्ध, महावीर, कबीर, नानक। उनमें एक भी दक्षिण का व्यक्ति नहीं है। दक्षिण की तो याद ही आती है तो तत्क्षण रावण की याद आती है!

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