आठ पहर यूं झूमते-प्रवचन-सातवां
एक फकीर के पास तीन युवक आए और उन्होंने कहा कि हम अपने को जानना चाहते हैं। उस फकीर ने कहा कि इसके पहले कि तुम अपने को जानने की यात्रा पर निकलो, एक छोटा सा काम कर लाओ। उसने एक-एक कबूतर उन तीनों युवकों को दे दिया और कहा, ऐसी जगह में जाकर कबूतर की गर्दन मरोड़ डालना जहां कोई देखने वाला न हो।
पहला युवक रास्ते पर गया–दोपहर थी, रास्ता सुनसान था, लोग अपने घरों में सोये थे–देखा कोई भी नहीं है, गर्दन मरोड़ कर, भीतर आकर गुरु के सामने रख दिया। कोई भी नहीं था, उसने कहा, रास्ता सुनसान है, लोग घरों में सोये हैं, किसी ने देखा नहीं, कोई देखने वाला नहीं था। Continue reading “आठो पहर यूं झूमिये-(प्रवचन-07)”