साक्षी की साधना-(साधना-शिविर)–ओशो
तेरहवां प्रवचन
…परमात्मा के दर्शन शुरू हो जाएंगे। वह एक पक्षी का गीत सुनेगा, तो पक्षी के गीत में उसे परमात्मा की वाणी सुनाई पड़ेगी। वह एक फूल को खिलते देखेगा, तो उस फूल के खिलने में भी परमात्मा की सुवास की सुगंध उसे मिलेगी। उसे चारों तरफ एक अपूर्व शक्ति का बोध होना शुरू हो जाता है। लेकिन यह होगा तभी जब मन हमारा इतना निर्मल और स्वच्छ हो कि उसमें प्रतिबिंब बन सके, उसमें रिफ्लेक्शन बन सके। तुमने देखा होगा झील पर कभी जाकर, अगर झील पर बहुत लहरें उठती हों, आकाश में चांद हो, तो फिर झील पर कोई चांद का प्रतिबिंब नहीं बनता। और अगर झील बिलकुल शांत हो, उसमें कोई लहर न उठती हो, दर्पण की तरह चुप और मौन हो, तो फिर चांद उसमें दिखाई पड़ता है। और जो चांद झील में दिखाई पड़ता है, वह उससे भी सुंदर होता जो ऊपर आकाश में होता है। Continue reading “साक्षी की साधना-(प्रवचन-13)”