सत्संग का संगीत—(प्रवचन—बीसवां)
दिनांक 8 जून, 1975, प्रातः, ओशो कम्यून इंटरनेशनल, पूना
प्रश्नसार :
1—आपकी भक्ति साधना में प्रार्थना का क्या स्थान होगा?
2–कबीर पर बोलते हुए आपने सत्संग पर बहुत जोर दिया। आज के परिप्रेक्ष्य में सत्संग पर कुछ और प्रकाश डालेंगे?
3—समर्पण कब होता है?
पहला प्रश्न :
संत कबीर पर बोलते हुए आपने भक्ति को बहुत-बहुत महिमा दी। लेकिन कबीर की भक्ति तो जगह-जगह प्रार्थना करती मालूम होती है। यथा–“आपै ही बहि जाएंगे जो नहिं पकरौ बांहि।” और आपने प्रार्थना को भी ध्यान बना दिया है। आपकी भक्ति-साधना में प्रार्थना का क्या स्थान होगा? Continue reading “कहै कबीर दिवाना-(प्रवचन-20)”