धर्म की राह ही उसकी मंजिल है—(प्रवचन—एकसौछ:वां)
प्रश्न-सार
01-क्या प्रत्येक व्यक्ति का मज्झिम निकाय अलग है?
02-छोटी सी भूल के चलते बड़ा पतन कैसे संभव है?
03-क्या संत लोगों को बदलना नहीं चाहते?
पहला प्रश्न:
महावीर, बुद्ध, लाओत्से, आप, आप सबके मध्य अलग-अलग प्रतीत होते हैं। क्या हम सामान्य जनों के भी मध्य अलग-अलग होंगे? मज्झिम निकाय की इस बात को हमें समझा दें।
एक-एक व्यक्ति अनूठा है, बेजोड़ है; उस जैसा न कभी कोई हुआ, न कभी कोई फिर और होगा। Continue reading “ताओ उपनिषद-प्रवचन-106”