भिक्षु तिष्य की चादर-(एस धम्मो सनंतनो)
एक भिक्षु थे तिष्य। वर्षा—वास के पश्चात किसी ने उन्हें एक बहुत मोटे सूत केला चादर भेट किया।
बहुत भिक्षु वर्षा के दिनों में रुक जाते थे, तीन—चार महीने, और वर्षा—वास के बाद जब वे यात्रा पर पुन: निकलते तो लोग उन्हें भेंट देते। भेंट भी क्या? थोड़ी सी भेंट लेने की उन्हें आज्ञा थी। तीन वस्त्र रख सकते थे, इससे ज्यादा नहीं। तो कोई चादर भेंट कर देता, या कोई भिक्षापात्र भेंट कर देता। तो पुराना भिक्षापात्र छोड़ देना पड़ता, पुरानी चादर छोड़ देनी पड़ती।
यह भिक्षु तिष्य ने वर्षा—वास किया किसी गांव में जब वर्षा—वास के बाद उन्हें एक मोटे सूत वाला चादर भेट किया गया तो उन्हें पसंद न आया। बहुत मोटे सूत वाला था। Continue reading “भिक्षु तिष्य की चादर-(कथा यात्रा-058)”