तंत्र-सूत्र—ओशो
ये प्रवचन माला ओशो अंग्रेजी में बोले थे स्वामी योग चिन्मय के अथक महनता ओर प्रयास से इन्हें हिन्दी में घारा परवाह रूपांतरित किया गया है, ये सब इतना सूंदर है की आप किताब को पढ़ते हुए भूल जाते है कि ओशो बोले या रूपातरित है, क्योंकि शिष्य के अंदर गुरू की ध्वनि गुंजयमान होती रहती हैै, वह उसमें डूब कर वहीं शब्द लाता है जो गुरू के मुखार बिंंंंदु पर आने वाले थे। नमन उस महान विभुति काेे जिससेेप्रयास से हजारों लाखो लोग उन महान विज्ञान भैरव तंत्र को हिन्दी में पढ़ सके।
मनसा आनंद
वििज्ञान भैरव तंत्र का जगत बौद्धिक नहीं है। वह दार्शनिक भी नहीं है। तंत्र शब्द का अर्थ है। विधि, उपाय, मार्ग। इस लिए यह एक वैज्ञानिक ग्रंथ है। विज्ञान ‘’क्यों‘’ की नहीं, ‘’कैसे’’ की फिक्र करता है। दर्शन और विज्ञान में यही बुनियादी भेद है। दर्शन पूछता है। यह अस्तित्व क्यों है? विज्ञान पूछता है, यह आस्तित्व कैसे है? जब तुम कैसे का प्रश्न पूछते हो, तब उपाय, विधि, महत्वपूर्ण हो जाती है। तब सिद्धांत व्यर्थ हो जाती है। अनुभव केंद्र बन जाता है। Continue reading “तंत्र-सूत्र-भाग-01-(ओशो)”
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