बीसवां प्रवचन—अहोभाव, आनंद, उत्सव है भक्ति
दिनांक २२ मार्च, १९७६; श्री रजनीश आश्रम, पूना
प्रश्नसार :
1—परम विरहासक्ति पर कुछ कहें?
2—ध्यान की गहराई की अवस्था स्थायी कैसे हो?
3—क्या मुक्ति के लिए अन्ततः आराध्य की छवि का विसर्जन भी अनिवार्य है?
4—आपके समीप आकर आपकी ओर देखा ही न गया। ऐसे क्यों हो जाता है? Continue reading “भक्तिसूत्र-(प्रवचन-20)”