नरक के द्वार: काम, क्रोध, लोभ—
(प्रवचन—आठवां) अध्याय—16
सूत्र—
त्रिविधं नरकस्येदं द्वारं नाशनमात्मन:।
काम: क्रोधस्तथा लौभस्तस्मादैतन्त्रयं त्यजेत्।। 21।।
एतैर्विमुक्त: कौन्तेय तमद्धोरैस्प्रिभिर्नर:।
आचरत्यक्ष्मन: श्रेयस्स्ततो यति परां गतिम्।। 22।।
यः शास्त्रविश्वैमुत्सृज्य वर्तते कामकारत:।
न स सिद्धिमावाप्नोतिप्त न सुखं न परां गतिम्।। 23।। Continue reading “गीता दर्शन-(प्रवचन-187)”