‘मैं’ की मुक्ति नहीं, ‘मैं’ से मुक्ति—(प्रवचन—बीसवां)
दिनांक 10 अक्टूबर, 1974. श्री ओशो आश्रम, पूना।
भगवान!
सदगुरु तोसोत्सु ने तीन रोधक (ईंततपमते) निर्मित किये। और उन्हें वे साधुओं से पार करवाते थे।
पहला रोधक: झेन का अध्ययन है। झेन के अध्ययन का उद्देश्य है, अपने ही सच्चे स्वभाव का दर्शन करना।
अब तुम्हारा सच्चा स्वभाव क्या है?
दूसरा: जब कोई अपने सच्चे स्वभाव को प्राप्त कर लेता है तब वह जन्म और मृत्यु से मुक्त हो जायेगा। Continue reading “दीया तले अंधेरा-(प्रवचन-20)”