दसवां प्रवचन-नेति-नेति
प्रश्नसार:
पहला प्रश्नः ओशो, अपने ज्ञान-चक्षुओं के आधार पर जब भी आपको पाया तो दो रूपों में। आपके आरंभिक जीवन के प्रेरणा-स्रोत स्वामी विवेकानंद ही रहे होंगे, तत्पश्चात भगवान बुद्ध होंगे। और उसके बाद आप स्वयं ही बुद्ध हो गए। स्वामी विवेकानंद भारत के दूसरे कृष्ण थे; उपनिषदों व अन्य भारतीय ग्रंथों के मूर्धन्य विद्वान थे। ऐसे महापुरुष पर आपके मुखारविंद से एक लंबी प्रवचनमाला की अपेक्षा है। शंका भी है कि विवेकानंद पर आप शायद नहीं भी बोलें; कारण कि उनका समग्र चिंतन हिंदू शब्द व हिंदू सभ्यता पर आधारित है। और हिंदू शब्द से आपको घृणा है, ऐसा मुझे कई बार प्रतीत हुआ है।
विशेष प्रार्थना है कि स्वामी विवेकानंद के मौलिक विचारों पर व चिंतन पर आप मंथन करते हुए हमें शुभ्र, सात्विक, सच्चाईपूर्ण नवनीत का प्रसाद प्रदान करेंगे! Continue reading “होनी होय सो होय-(प्रवचन-10)”