मार्ग है बोधपूर्वक निसर्ग के अनुकूल जीना—(प्रवचन—चौंसठवां)
प्रश्न-सार
1–मृतकों को भोजनादि देने का क्या अर्थ है?
2–कैसे जानें कि प्रकृति के हम अनुकूल हैं?
3–प्रकृति के अनुकूल चलें तो समाज का क्या होगा?
4–निसर्ग के अनुकूल होने से पशु जैसे तो नहीं हो जाएंगे?
5–हठी कुपुत्र को सुधारने के लिए क्या करें? Continue reading “ताओ उपनिषद-प्रवचन-064”