जीवन संगीत-(साधना-शिविर)–ओशो
नौवां-प्रवचन
मेरे प्रिय आत्मन्!
तीन दिनों की चर्चाओं के संबंध में बहुत से प्रश्न मित्रों ने भेजे हैं। जितने प्रश्नों के उत्तर संभव हो सकेंगे, मैं देने की कोशिश करूंगा।
एक मित्र ने पूछा है कि आप नये विचारों की क्रांति की बात कहते हैं। क्या अब भी कभी हो सकता है जो पहले नहीं हुआ है? इस पृथ्वी पर सभी कुछ पुराना है, नया क्या है?
इस संबंध में जो पहली बात आपसे कहना चाहता हूं, वह यह कि इस पृथ्वी पर सभी कुछ नया है, पुराना क्या है? पुराना एक क्षण नहीं बचता, नया प्रतिक्षण जन्म लेता है। पुराने का जो भ्रम पैदा होता है, इसलिए पैदा होता है, कि हम दो के बीच जो अंतर है, उसे नहीं देख पाते। Continue reading “जीवन संगीत-(प्रवचन–09)”