कोपलें फिर फूट आईं—(प्रश्न—चर्चा) ओशो
(ओशो द्वारा दिए गए बारह प्रवचनों का अप्रितम संकलन)
प्रवेश के पूर्व:
तुमने पूछा है: मैं कैसे अपने अचेतने, अपने अंधरे को प्रकाश से भर दूं?
एक छोटा सा काम करना पड़ेगा। बहुत छोटा सा काम।
चौबीस घंटे तुम दूसरे को देखने में लगे हो—दिन में भी और रात में भी। कम से कम कुछ समय दूसरे को भूलने में लगो। जिस दिन तुम दूसरे को बिलकुल भूल जाओगे, बुद्धि की उपयोगिता नष्टा हो जाएगी।
इसे ज्ञानियों ने ध्यान कहा है। ध्यान का अर्थ है: एक ऐसी अवस्था,जब जानने को कुछ भी नहीं बचा। सिर्फ जानने वाला ही बचा। उससे छुटकारे का कोई उपाय नहीं है। लाख भागो पहाड़ों पर और रेगिस्तानों में, चाँद—तारों पर,लेकिन तुम्हारा जानने वाला तुम्हारे साथ होगा। चूंकि वह तुम हो, वह तुम्हारी आस्तित्व है। रोज घडी भर, कभी भी सुबह या सांझ या दोपहर, इस अनूठे आयाम को देना शुरू कर दो। बस आँख बंद करे बैठ जाओ, ……. Continue reading “कोपलें फिर फूट आईं-(प्रश्न-चर्चा)-ओशो”
28.621809
77.163615
पसंद करें लोड हो रहा है...