अज्ञात अपरिचित गहराइयों में–(प्रवचन–उन्नीसवां)
तेरहवीं प्रश्नोत्तर चर्चा:
शरीर : मन का अनुगामी:
प्रश्न: ओशो नारगोल शिविर में आपने कहा कि योग के आसन प्राणायाम मुद्रा और बंध का आविष्कार ध्यान की अवस्थाओं में हुआ तथा ध्यान की विभिन्न अवस्थाओं में विभित्र आसन व मुद्राएं बन जाती हैं जिन्हें देखकर साधक की स्थिति बताई जा सकती है। इसके उलटे यदि वे आसन व मुद्राएं सीधे की जाएं तो ध्यान की वही भावदशा बन सकती है। तब क्या आसन प्राणायाम मुद्रा और बंधों के अभ्यास से ध्यान उपलब्ध हो सकता है? ध्यान साधना में उनका क्या महत्व और उपयोग है? Continue reading “जिन खोजा तिन पाइयां-(प्रवचन-19)”