संन्यास है : मैं से मुक्ति—(प्रवचन—दसवां)
दिनांक 10 दिसम्बर 1979;
श्री रजनीश आश्रमश् पूना।
प्रश्नसार:
प्रश्न–01 भगवान:
एक गीत और मुझे गाना है
एक छन्द और गुनगुनाना है
गीत तो वही है जो हुलस—हुलस
अपने ही कण्ठों ने गाये हों
भाव तो वही है जो उमग—उमग
अपने ही प्राणों से आये हों Continue reading “राम दुवारे जो मरैै-(प्रवचन-10)”