मंदिर की सीढ़ियां: प्रेम, प्रार्थना, परमात्मा—दसवां प्रवचन
दिनांक २० मार्च, १९७७; श्री रजनीश आश्रम, पूना
जिज्ञासाएं:
1—भगवान, प्रेम मेंर् ईष्या क्यों है?
2—कमैं कौन हूं और मेरे जीवन का लक्ष्य क्या है?
3—प्रभु से सीधे ही क्यों न जुड़ जाएं? गुरु को बीच में क्यों लें?
4—मैं तीन वर्ष से संन्यास लेना चाहता हूं, लेकिन नहीं ले पा रहा हूं। क्या कारण होगा?
5—भक्ति क्या एक प्रकार की कल्पना ही नहीं है?
6—इस प्रवचनमाला का शीर्षक वैराग्य-रूप और जीवन-निषेधक लगता है। प्रेम-पथ पर यह निषेध क्यों है?
7—आपकी बातों में नशा है, इससे मैं डरता हूं। Continue reading “जगत तरैया भोर की-(प्रवचन-10)”