एक क्षण पर्याप्त है—(प्रवचन—दसवां)
प्रश्न-सार :
1—प्राणायाम का अर्थ है: ऐसी विधि जिससे प्राणों का विस्तार हो, और प्रत्याहार है: मूल स्रोत की ओर वापस लौटना। पहले विस्तार, फिर वापसी–ऐसा क्यों?
2—स्वप्नावस्था में भी अकाम आ जाए, इसकी कीमिया पर कुछ उपदेश दें।
3—क्या पुण्य, धर्म, भगवान की कामना भी दुख में ही ले जाएगी?
4—प्रत्याहार–गंगा का गंगोत्री में और वृक्ष का बीज में लौट जाना–क्या संभव है? Continue reading “भज गोविंदम मूढ़मते-(प्रवचन-10)”