इक्कीसवां– प्रवचन
सतगुरु कृपा अगम भयो हो
सारसूत्र:
सब्द सनेह लगावल हो, पावल गुरु रीती।
पुलकि-पुलकि मन भावल हो, ढहली भ्रम-भीती।।
सतगुरु कृपा अगम भयो हो, हिरदय बिसराम।
अब हम सब बिसरावल हो, निस्चय मन राम।।
छूटल जग ब्योहरवा हो, छूटल सब ठांव।
फिरब चलब सब थाकल हो, एकौ नहिं गांव।।
यहि संसार बेइलवत हो, भूलो मत कोइ।
माया बास न लागे हो, फिर अंत न रोइ।। Continue reading “झरत दसहुं दिस मोती-(प्रवचन-21)”