ज्यूं मछली बिन नीर-(प्रश्नोत्तर)-ओशो
ध्यान विधि है मूर्च्छा को तोड़ने की-(प्रवचन-दसवां)
दसवां प्रवचन; दिनांक ३० सितंबर, १९८०; श्री रजनीश आश्रम, पूना
पहला प्रश्न: भगवान,
क्या आप इस सूत्र पर कुछ कहना पसंद करेंगे?–
नास्ति कामसमो व्याधि नास्ति मोह समो रिपु:।
नास्ति क्रोध समो वहिनास्ति ज्ञानात् परं सुखम्।।
काम के समान कोई व्याधि नहीं है, मोह के समान कोई शत्रु नहीं है, क्रोध के तुल्य कोई अग्नि नहीं है और ज्ञान के उत्कृष्ट कोई सुख नहीं है। Continue reading “ज्यूं मछली बिन नीर-(प्रवचन-10)”