तुम ही लक्ष्य हो—(प्रवचन—अड़तालीसए)
प्रश्नसार:
1—प्रेरणा और आदर्श में क्या फर्क है? क्या किसी जिज्ञासा
के लिए किसी से प्रेरणा लेना गलत है?
2—सामान्य होना क्या है? और आजकल इतनी विकृति क्यों है?
3—बोध को उपलब्ध हुए बिना उसे ‘अनुभव’ कैसे किया जा सकता है?
जो अभी घटा नहीं है उसका भाव कैसे संभव है? Continue reading “तंत्र-सूत्र-(प्रवचन-48)-ओशो”