तंत्र अध्यात्म और काम
छठवां-प्रवचन (तंत्र-सपर्पण का मार्ग)
(Tanta Spituality And Six-का हिन्दी अनुवाद)
पहला प्रश्न: भगवान, विज्ञान-भैरव-तंत्र की जिन विधियों की हमने अब तक चर्चा की है क्या वे वास्तव में तंत्र का केंद्रीय विषय होने की अपेक्षा योग के विज्ञान से संबंधित हैं? और तंत्र का केंद्रीय विषय क्या है? इसे समझाने की कृपा करें।
यह प्रश्न बहुतों के मन में उठता है। जिन विधियों की हमने चर्चा की है उनका योग में भी प्रयोग होता है लेकिन कुछ भिन्न ढंग से। तुम एक ही विधि का प्रयोग बिल्कुल भिन्न दर्शन की पृष्ठ भूमि में भी कर सकते हो। उसका ढांचा उसकी पृष्ठभूमि अलग होती है विधि नहीं। योग का जीवन के प्रति भिन्न दृष्टिकोण है तंत्र से बिल्कुल
विपरीत। Continue reading “तंत्र-अध्यात्म और काम-(प्रवचन-06)”