प्रवचन-अट्ठारवां
प्रश्न एवं उत्तर
पहला प्रश्नः भगवान, हमें ऐसा अनुभव होता है कि अचेतन की गहरी परतों में प्रवेश करना व उन्हें केवल सजगता के द्वारा रूपांतरित करना कठिन है, और पर्याप्त भी नहीं है, इसलिए सजगता के अलावा और क्या अभ्यास करें? कृपया इसके बारे में इसके प्रायोगिक आयाम को अधिक ध्यान में रखते हुए समझाए।
अचेतन को रूपांतरित केवल सजगता से ही किया जा सकता है। यह कठिन है, किंतु दूसरा कोई मार्ग नहीं है। सजग होने के लिए कितनी ही विधियां हैं। परंतु सजगता अनिवार्य है। आप विधियां का उपयोग जागरण के लिए कर सकते हैं; किंतु आपको जागना तो पड़ेगा ही।
यदि कोई पूछता है कि क्या कोई विधि है अंधकार को मिटाने की सिवा प्रकाश के, तो वह चाहे कितना ही कठिन हो, किंतु वही एकमात्र उपाय है, क्योंकि अंधकार केवल अभाव है, प्रकाश का। इसलिए आपकोप्रकाश का उपस्थित करना होगा और तब अंधकार वहां नहीं होगा। Continue reading “आत्म पूजा उपनिषद-(प्रवचन-18)”