ठहरो, विराम में आओ—प्रवचन-ग्याहरवां
दिनांक 31 जनवरी, सन् 1981 ओशो आश्रम पूना।
पहला प्रश्न: भगवान,
संत बुल्लेशाह की ते काफी इस प्रकार है–
तंग छिदर नहीं विच तेरे, जिथे कख न इक समांवदा ए।
ढूंढ वेख जहां दी ठौर किथे, अनहुंदड़ा नजरी आंवदा ए।
जिवें ख्वाब दा खयाल होवे सुत्तियां नूं, तरहां तरहां दे रूप दिखांवदा ए। Continue reading “सांच-सांच सो सांच-(प्रवचन-11)”