प्रवचन-पंद्रहवां
वर्तमान में जीना ही संन्यास है
(अंग्रेजी प्रवचनमाला ‘माई वे : दि वे ऑफ व्हाइट क्लाउड्स’ का हिंदी रूपांतर)
पहला प्रश्नः
ओशो! आपने कहा है कि हमें दूसरों के साथ संबंध नहीं जोड़ना चाहिए, लेकिन हममें से अधिकतम लोग जो पश्चिम से हैं, वहां हमारे मित्र और संबंधी हैं, हमने यहां जो कुछ पाया है, उसे उनके साथ बांटकर हम उन्हें अपना सहभागी बनाना चाहते हैं।
संन्यास के बारे में हमें उन्हें क्या बताना चाहिए? आपके बारे में हमें उन्हें क्या बताना चाहिए? और जो स्पष्ट रूप से नहीं कहा जा सकता है, उसे हम कैसे अभिव्यक्त कर सकते हैं? Continue reading “सफेद बादलों का मार्ग-(प्रवचन-15)”