अंतर जगत की फाग—(प्रवचन—चौदहवां)
दिनांक 25 मार्च, 1979; श्री रजनीश आश्रम, पूना
प्रश्नसार:
1—आधुनिक मनुष्य की सब से बड़ी कठिनाई क्या है?
2—साधु—संतों को देखकर ही मुझे चिढ़ होती है और क्रोध आता है। मैं तो उन में सिवाय पाखंड के और कुछ भी नहीं देखता हूं, पर आपने न मालूम क्या कर दिया के श्रद्धा उमड़ती है! आपका प्रभाव का रहस्य क्या है?
3—भगवान! बुरे कामों के प्रति जागरण से बुरे काम छूट जाते हैं तो फिर अच्छे काम जैसे प्रेम, भक्ति के प्रति जागरण हो तो क्या होता है, कृपया इसे स्पष्ट करें।
4—भगवान! प्रभु—मिलन में वस्तुतः क्या होता है? पूछते डरता हूं। पर जिज्ञासा बिना पूछे मानती भी नहीं। भूल हो तो क्षमा करें। Continue reading “अमी झरत बिसगत कंवल-(प्रवचन-14)”