और फूलों की बरसात हुई-ग्याहरवां
न मन, न बुद्ध और न विषय वस्तुएं
जागे हुए लोगों की शिक्षाएँ, किसी भी प्रकार से शिक्षाएँ नहीं हैं क्योंकि वे सिखाई नहीं जा सकती- इसलिए कैसे उन्हें शिक्षाएँ अथवा सिखावनें कहकर पुकारा जाए? एक सिखावन वह होती है जो सिखाई जा सकती है। लेकिन कोई भी व्यक्ति तुम्हें सत्य नहीं सिखा सकता। यह असंभव है। तुम उसका ज्ञान प्राप्त कर सकते हो, लेकिन वह सिखाया नहीं जा सकता। उसे सीखना होता है। तुम उसे अवशोषित कर सकते हो, तुम उसे मन में धारण कर सकते हो, तुम एक सद्गुरू के साथ उसे जी सकते हो और उसे घटित होने को स्वीकार कर सकते हो, लेकिन वह सिखलाया नहीं जा सकता। वह एक बहुत अप्रत्यक्ष प्रक्रिया है। Continue reading “और फूलों की बरसात हुई-(प्रवचन-11)”