एक प्याला चाय पीजिए-(प्रवचन-चौथा)
झेन बोध कथाएं-( A bird on the wing)
मनुष्य होने की कला–(A bird on the wing) “Roots and Wings” –।0-06-74 to 20-06-74 ओशो द्वारा दिए गये ग्यारह अमृत प्रवचन जो पूना के बुद्धा हाल में दिए गये थे। उन झेन और बोध काथाओं पर अंग्रेजी से हिन्दी में रूपांतरित प्रवचन माला)
कथा:
झेन सदगुरू जोशू मठ में आए।
एक नए भिक्षु से पूछा- ” क्या मैंने तुमको पहले कभी देखा है?”
उस नए भिक्षु ने उत्तरदिया- ” जी नहीं श्रीमान? ”
जोशू ने कहा- ” तब आप एक कला चाय पीजिए।”
जोशू ने फिर दूसरे भिक्षु की ओर मुड़कर पूछा- ” क्या मैंने तुमको
पहले कभी देखा है?”
उस दूसरे भिक्षु ने उत्तर दिया ” जी क्या श्रीमान? आपने वास्तव में
मुझे देखा है ”
जोशू ने कह?- ” तब आप एक प्याला चाय पिजिए
कुछ देर बाद मठ में भिक्षुओ के प्रबंधक ने जोशू से पूछा- ” आपने
कोई भी उत्तर मिलने पर दोनों को ही चाय पीने का समान आमंत्रण
क्यों दिया?”
यह सुनकर जाशू चीखते हुए बोला- ” मैनेजर? तुम अभी भी यही
हरे?”
मैनेजर ने उत्तरदिया ” जी श्रीमान? ”
जोश ने कह?- ” तब आप भी एक प्याला चाय पीजिए।”
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