अपने माहिं टटोल-(साधना-शिविर)
दसवां प्रवचन-सत्य है अनुसंधान– मुक्त और स्वतंत्र
इधर तीन दिनों में सत्य की खोज में और उस रास्ते पर किन बाधाओं को मनुष्य दूर करे, किन सीढ़ियों को चढ़े और किन बंद द्वारों को खोले, उस संबंध में बहुत सी बातें हुई हैं। बहुत से प्रश्न भी उस संबंध में पूछे गए हैं। आज की रात उन सारे महत्वपूर्ण प्रश्नों पर मैं चर्चा करूंगा जो शेष रह गए हैं।
सबसे पहले, अनेक प्रश्न पूछे गए हैं कि हजारों वर्षों से हजारों लोग जिन बातों को मान रहे हैं, मैं उन बातों को गलत क्यों कहता हूं? और जिन बातों को इतने लोग सही मानते हों, क्या वे बातें गलत हो सकती हैं? क्या इतनी पुरानी परंपराएं, रूढ़ियां, जिन्हें हम सदा से मानते रहे हैं, भूल भरी हो सकती हैं? Continue reading “अपने माहिं टटोल-(प्रवचन-10)”