भारत के जलते प्रश्न-(राष्ट्रीय-सामाजिक)
पांचवां-प्रवचन-(ओशो)
भारत के भटके युवक
मेरे प्रिय आत्मन्!
हमारी चर्चाओं का अंतिम दिन है, और बहुत से प्रश्न बाकी रह गए हैं। तो मैं बहुत थोड़े-थोड़े में जो जरूरी प्रश्न मालूम होते हैं, उनकी चर्चा करना चाहूंगा।
एक मित्र ने पूछा है कि कहा जाता है कि भारत का जवान राह खो बैठा है। उसे सच्ची राह पर कैसे लाया जा सकता है?
पहली तो यह बात ही झूठ है कि भारत का जवान राह खो बैठा है। भारत का जवान राह नहीं खो बैठा है, भारत की बूढ़ी पीढ़ी की राह अचानक आकर व्यर्थ हो गई है, और आगे कोई राह नहीं है। एक रास्ते पर हम जाते हैं और फिर रास्ता खत्म हो जाता है, और खड्डा आ जाता है। आज तक हमने जिसे रास्ता समझा था वह अचानक समाप्त हो गया है, और आगे कोई रास्ता नहीं है। और रास्ता न हो तो खोने के सिवाय मार्ग क्या रह जाएगा? Continue reading “भारत के जलते प्रश्न-(प्रवचन-05)”