प्रिंसिपिया एथिका—जी. इ. मूर—(ओशो की प्रिय पुस्तकें)
आधुनिक दर्शन शास्त्र के विकास में जी. ई मूर का योगदान उतना ही महत्वपूर्ण है! जितना कि बर्ट्रेंड रसेल का। उसकी बहुत कम रचनाएं प्रकाशित हुई। और ‘’प्रिंसिपिया एथिका’’ उनमें से सर्वप्रथम और सर्वाधिक प्रसिद्ध किताब है।
अंग्रेजी साहित्य और चिंतन पर उसका प्रभाव विचारणीय है। बर्ट्रेंड रसेल ने इस किताब के बारे में लिखा, ‘’इसका हमारे ऊपर (कैम्ब्रिज में) जो प्रभाव पडा, और इसे लिखने से पहले और बाद में जो व्याख्यान हुआ उसने हर चीज को प्रभावित किया। हमारे लिए वह विचारों और मूल्यों का बहुत बड़ा स्त्रोत था। लॉर्ड केन्स का तो मानना था कि यह किताब प्लेटों से भी बेहतर है। Continue reading “प्रिंसिपिया एथिका-(जी. इ. मूर)-049”