प्रवचन-दूसरा-(आत्मा के फूल) असंभव क्रांति-(ओशो)
साधना-शिविर माथेरान, दिनांक 19-10-1967 रात्रि
(अति-प्राचिन प्रवचन)
ज्ञान की कोई भिक्षा संभव नहीं हो सकती। ज्ञान भीख नहीं है। धन तो कोई भीख में मांग भी ले, क्योंकि धन बाहर है। लेकिन ज्ञान? ज्ञान स्थूल नहीं है, बाहर नहीं है, उसके कोई सिक्के नहीं हैं, उसे किसी से मांगा नहीं जा सकता। उसे तो जानना ही होता है। लेकिन आलस्य हमारा, प्रमाद हमारा, श्रम न करने की हमारी इच्छा, हमें इस बासे उधार ज्ञान को, जो कि ज्ञान नहीं है, इकट्ठा कर लेने के लिए तैयार कर देती है। Continue reading “असंभव क्रांति-(प्रवचन-02)”