देख कबीरा रोया-(राष्ट्रीय ओर सामाजिक)—ओशो
बारहवां प्रवचन–समाजवाद का पहला कदम: पूंजीवाद
जैसे ही समाज में सुविधा बढ़ती है, सुख बढ़ता है, धन बढ़ता है, वैसे ही परेशानी बढ़ती है। जब आप भी सुखी थे तो आपमें भी परेशान आदमी पैदा हुआ है। हरे राम जो आप भज रहे थे, वह आपके सुखी समाज ने पैदा किया था, वह गरीब आदमी ने पैदा नहीं किया था। वह बुद्ध या महावीर जैसे अमीर घर के बेटे जाकर हरे राम कर रहे थे। एक गरीब आदमी इतना परेशान है कि और परेशान होने का उसे उपाय नहीं है। इसलिए यह जो आप सोचते हैं, एस्केपिज्म नहीं है, यह सुविधा है जो कि आपको…होता क्या है, कठिनाई क्या है, मुझे एक तकलीफ है, मुझे खाना नहीं मिल रहा, तो मेरा चौबीस घंटा तो खाना जुटाने में व्यतीत होता है। मुझे रहने को मकान नहीं है, तो मैं उसमें परेशान हूं, और मेरे सारे सपने इसके होते हैं कि मुझे खाना कैसे मिल जाए, मकान कैसे मिल जाता है, कपड़ा कैसे मिल जाए, एक औरत कैसे मिल जाए? Continue reading “देख कबीरा रोया-(प्रवचन-12)”
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