पिया मिलन की आस—(प्रवचन—तेरहवां)
04 जून, 1975, प्रातः, ओशो कम्यून इंटरनेशनल, पूना
सूत्र :
आंखरिया झांई पड़ी, पंथ निहार निहार।
जीभड़िया छाला पड़ा, राम पुकारि पुकारि।।
इस तन का दीवा करौं, बाती मैल्यूं जीव। .
लोही सीचौं तेल ज्यूं, कब मुख देख्यौं पीव।।
सुखिया सब संसार है, खायै अरु सोवै।
दुखिया दास कबीर है, जागै अरु रोवै।।
नैन तो झरि लाइया, रहंट बहै निसुवार।
पपिहा ज्यों पिउ फिउ रटै, पिया मिलन की आस।।
कबीरा वैद बुलाइया, पकरि के देखो बांहि।
वैद न वेदन जानई, करक कलेजे मांहि।। Continue reading “कहै कबीर दिवाना-(प्रवचन-13)”