इहलौकिक जीवन के समग्र स्वीकार के प्रतीक कृष्ण—(प्रवचन—दूसरा)
दिनांक 26 सितंबर, 1970; मनाली (कुलू)
“भगवान श्री, आपको श्रीकृष्ण पर बोलने की प्रेरणा कैसे व क्यों हुई? इस लंबी चर्चा का मूल आधार क्या है?’
सोचना हो, बोलना हो, समझना हो, तो कृष्ण से ज्यादा महत्वपूर्ण व्यक्ति खोजना मुश्किल है। ऐसा नहीं कि और महत्वपूर्ण व्यक्ति हुए हैं, लेकिन कृष्ण का महत्व अतीत के लिए कम और भविष्य के लिए ज्यादा है। सच ऐसा है कि कृष्ण अपने समय के कम से कम पांच हजार वर्ष पहले पैदा हुए। सभी महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने समय के पहले पैदा होते हैं, और सभी गैर-महत्वपूर्ण व्यक्ति अपने समय के बाद पैदा होते हैं। बस महत्वपूर्ण और गैर-महत्वपूर्ण व्यक्ति में इतना ही फर्क है। और सभी साधारण व्यक्ति अपने समय के साथ पैदा होते हैं। Continue reading “कृष्ण-स्मृति-(प्रवचन–02)”