हास्य व नृत्य की बात—(अठाईसयवां-प्रवचन)
प्यारे ओशो,
यहां पृथ्वी पर सबसे बड़ा पाप क्या रहा है? क्या यह उसका कथन नहीं थी जिसने कहा : ‘धिक्कार है उनको जो हंसते हैं!’
क्या स्वयं उसने पृथ्वी पर हंसने का कोई कारण नहीं पाया? यदि ऐसा है तो उसने खोज बुरी तरह की। एक बच्चा भी कारण पा सकता है।
उसने — पर्याप्त रूप से प्रेम नहीं किया : अन्यथा उसने हमको भी प्रेम किया होता हसनेवालो को! लेकिन उसने घृणा की और हम पर ताने कसे उसने शाप दिया कि हम बिलखें व दांत किटकिटाएं। Continue reading “नाचता गाता मसीहा-(प्रवचन-28)”